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  • दीपावली: अस्थमा, COPD, और एलर्जी के मरीजों के लिए सावधानियाँ

    दीपावली: अस्थमा, COPD, और एलर्जी के मरीजों के लिए सावधानियाँ

    प्रिय मरीजों,

    त्योहारों का मौसम आ गया है। दशहरा और दीपावली जैसे शुभ अवसर हमें जीवन में रोशनी, खुशी और उमंग भरते हैं। लेकिन अगर आपकी सेहत की बात करें, तो कुछ सावधानियाँ जरूरी हो जाती हैं। मेरी ये बातें न सिर्फ मेरे पुराने मरीजों के लिए हैं, बल्कि उन सभी के लिए हैं जो अपनी सेहत को लेकर चिंतित हैं। आइए बात करें कि कैसे आप इन त्योहारों का आनंद लें, पर सेहतमंद भी रहें।

    धुएं से सावधान

    त्योहार का असली आनंद तब सच्चा होता है, जब सेहत सही होती है। पटाखों का धुआं हवा में प्रदूषक बढ़ाकर सांस लेने में परेशानी पैदा कर सकता है, खासकर अस्थमा, सीओपीडी और एलर्जी के मरीजों के लिए।

    •   शोध से प्रमाणित: 2016 में Sharma and Dixit द्वारा Journal of Atmospheric Pollution में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि दीवाली के दौरान PM2.5 और PM10 स्तरों में 30-40% की वृद्धि होती है, जो श्वसन संबंधी समस्याओं को बढ़ाता है।

    “सांस की राह में हो जब धुआं,
    फिर कहां से आएगा त्योहारों का मजा?”

    लेकिन यह कहने का मतलब यह नहीं है कि आप त्योहार नहीं मना सकते। ग्रीन क्रैकर्स का इस्तेमाल एक बेहतर विकल्प हो सकता है। ये कम धुआं और आवाज करते हैं, जिससे पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचता है और आपकी सेहत भी सुरक्षित रहती है।

    धुआं और एलर्जन्स का असर

    प्रदूषण हवा में एलर्जन्स (जैसे परागकण, धूल) की एलर्जनिसिटी को बढ़ा देता है, जिससे सांस संबंधी परेशानियाँ बढ़ जाती हैं।

    •   वैज्ञानिक प्रमाण: 2015 में Beck et al. द्वारा Journal of Allergy and Clinical Immunology में प्रकाशित एक अध्ययन ने बताया कि प्रदूषण से एलर्जन्स की शक्ति बढ़ जाती है, जिससे एलर्जी और अस्थमा के लक्षण तेज हो सकते हैं।

    ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव

    पटाखों का तेज शोर सिर्फ मानसिक तनाव नहीं बढ़ाता, बल्कि अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों के श्वसन तंत्र को भी प्रभावित करता है।

    •   शोध का निष्कर्ष: 2019 में Thompson et al. द्वारा European Respiratory Journal में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि शोर से श्वसन प्रणाली में तनाव और परेशानियाँ बढ़ सकती हैं।

    त्वचा एलर्जी और प्रदूषण

    दीवाली के दौरान प्रदूषण न सिर्फ फेफड़ों पर बल्कि आपकी त्वचा पर भी असर डालता है, जिससे खुजली, जलन और रैशेज जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

    •   शोध के अनुसार: 2017 में Kim et al. द्वारा International Journal of Dermatology में प्रकाशित अध्ययन से पता चला कि PM2.5 और NO₂ त्वचा पर एलर्जी और संवेदनशीलता बढ़ा सकते हैं।

    पर्यावरणीय जागरूकता हर त्योहार में जरूरी

    कुछ लोग महसूस कर सकते हैं कि पर्यावरणीय जागरूकता अक्सर हिंदू त्योहारों के समय अधिक चर्चा में आती है, जबकि अन्य अवसरों जैसे नए साल की आतिशबाजी या साल भर होने वाले प्रदूषण के स्रोतों पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता। हालांकि, यह समझना जरूरी है कि पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा सिर्फ एक विशेष त्योहार तक सीमित नहीं होना चाहिए।
    चाहे वह दीवाली हो, नए साल की आतिशबाजी, या साल भर होने वाले प्रदूषण के स्रोत जैसे गाड़ियों का धुआं, सिगरेट पीना या औद्योगिक उत्सर्जन—सभी गतिविधियाँ हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
    इसलिए, त्योहारों के समय पर्यावरण का ख्याल रखना सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि लंबे समय तक हमारे और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन की नींव है। हर त्योहार के दौरान हमें अपनी सेहत के साथ-साथ पर्यावरण का भी ध्यान रखना चाहिए।

    त्योहार से जुड़ी मेरी कहानी

    हर साल इस मौसम में, मेरे पास ऐसे कई मरीज आते हैं जिनकी हालत पटाखों के धुएं या प्रदूषण के कारण बिगड़ जाती है। मैंने देखा है कि थोड़ी सी सावधानी बरतने से ये समस्याएं काफी हद तक रोकी जा सकती हैं। इस बार, मेरी आपसे यही गुज़ारिश है कि आप त्योहार की खुशियों में सेहत का ध्यान रखें और ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करें, जो कम धुआं और शोर करते हैं।

    “सुरक्षित त्योहार, स्वस्थ जीवन!”

    आपकी सेहत और भोजन की भूमिका

    त्योहार के दौरान हल्का और पौष्टिक भोजन खाएं, जिसमें ताजे फल, सब्जियाँ और हाइड्रेशन पर ध्यान दें। ज्यादा तला-भुना और मिठाइयों से दूर रहें। सेहतमंद रहेंगे तो त्योहार का मजा दोगुना होगा।

    समुदाय का सहयोग

    आप अपने पड़ोसियों और समाज में जागरूकता फैलाएं कि हमारी छोटी जिम्मेदारियाँ दूसरों की सेहत पर असर डालती हैं। पटाखों का कम इस्तेमाल करें और परिवार के साथ प्राकृतिक और सुरक्षित तरीके से त्योहार मनाएं।

    मिथक और सच्चाई

    बहुत से लोग मानते हैं कि पटाखों का धुआं केवल कुछ घंटों का असर डालता है, लेकिन सच यह है कि यह कई दिनों तक हवा में बना रहता है। इन मिथकों को तोड़ना जरूरी है ताकि हम सब मिलकर सुरक्षित त्योहार मना सकें।

    मानसिक स्वास्थ्य

    त्योहारों की तैयारियों में तनाव न बढ़ाएं। योग और मेडिटेशन जैसी गतिविधियाँ अपनाएँ ताकि आप मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहें। सिर्फ शरीर नहीं, मन की सेहत भी जरूरी है।

    पर्यावरण के अनुकूल सुझाव

    मिट्टी के दीये जलाएं, जैविक रंगों से रंगोली बनाएं और पर्यावरण को बचाते हुए त्योहार मनाएं। ग्रीन पटाखों का उपयोग कर आप पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों का ख्याल रख सकते हैं।

    “प्रकृति से दोस्ती करें, त्योहार की खुशी दोगुनी करें।”

    भविष्य की पीढ़ियों की जिम्मेदारी

    आज हम अगर अपने पर्यावरण का ध्यान रखेंगे, तो हमारी आने वाली पीढ़ियाँ भी इन त्योहारों की रोशनी में सांस ले सकेंगी। आइए, त्योहार का सही अर्थ समझें और जिम्मेदारी से मनाएं।

    सारांश: त्योहार कैसे मनाएं और सेहत भी बनाए रखें

    •   ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करें।
    •   मास्क और एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
    •   हल्का, पौष्टिक भोजन खाएं।
    •   ध्वनि प्रदूषण से बचाव के लिए इयरप्लग्स का इस्तेमाल करें।
    •   त्वचा की देखभाल के लिए मॉइस्चराइजर और साफ-सफाई पर ध्यान दें।

    प्रिय मरीजों, त्योहारों का असली मजा तभी है जब आप स्वस्थ और खुश रहते हैं। परंपराओं का पालन करना महत्वपूर्ण है, लेकिन सेहत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस बार दीवाली को सुरक्षित और स्वस्थ तरीके से मनाएं और दूसरों को भी जागरूक करें।

    आप सभी को दशहरा और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    “सेहतमंद रहो, खुश रहो, और प्यार बांटो।”

    For more information visit our contact page.

  • Free COPD camp

    Free COPD camp

    [info]dhanwantari allergy & asthma clinic is organising a mega camp for asthma COPD patients on the occasion of world COPD day 2015.

    Patients can avail not only free consultation but also get different investigations done for free.

    Spirometry, ecg, chest X-ray, blood routine, urine routine, blood sugar, sputum analysis tests are made available for the poor patients for free.

    Dr Vivek kumar, our allergy & asthma specialist will give free consultation to the patients at our clinic on 23rd November 2015.[/info]